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ये कविता एक ऐसे इंसान पर। आधारित है दिन कुछ सब अपने नूर उड़ान दम पर गुमान वजूद पर आज के देशविरोधी गतिविधियों पर एक कटाक्ष जो स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह करते हैं और हमें सहिष्णुता का पाठ पढ़ा कर चुप रहने को कहते हैं ।

Hindi जो अपने सफलताओ के चकर में सब कुछ भूल जाता और एक दिन उसे चोट लगने पर अपने माँ का ख्याल आता हैं Poems